।। श्रीगणेशाय नमः ।। श्रीराधाकृष्णाय नमः ।।
जिस तरह आज यह करोना महामारी ने भयंकर उत्पात मचाया हुआ है और इसमें मरने वालों की संख्या कई लाखों में हो गई है। इस विषय में बहुत से विद्वानों ने अपनी अपनी ज्योतिषीय राय सोशल मीडिया द्वारा रख रहे हैं। मुझे भी लगा कि मैं भी इस सम्बन्ध में कुछ ज्योतिषीय तथ्य के रूप में प्रकाश डालूँ। किन-किन ग्रहों के योग से यह भयावह स्थिति बनती है। वह प्रस्तुत है।
जब-जब शनि-गुरु या शनि-राहु या मंगल की युति या समसप्तम या षड्ष्टक योग या एक दूसरे से केन्द्र में हो तो तब तब पृथ्वी पर कोई न कोई भयावह स्थिति उत्पन्न होती हैं। आज जो ग्रहों की स्थिति बनी है, बह भी शनि-गुरु और शनि-राहु के योग से उत्पन्न हुई है। आज की स्थिति पर आगे चर्चा करते हैं। पहले मैं कुछ प्रत्यक्ष उदाहरण आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ।
अब, पहले 1000 वर्ष पूर्व चलते हैं। सन् 1019 ई॰ में शनि-मकर राशि में और राहु-मेष राशि में एक दूसरे से केंद्र में थे उस समय मोहम्मद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया था। निःसंदेह जिसमें हजारों मौतें हुई होंगी।
सन 1192 ईस्वी में मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चैहान पर आक्रमण कर पृथ्वीराज चैहान को पराजित कर लिया था। इस समय भी शनि और राहु की युति धनु राशि में थी।
1392 ईस्वी में तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया। इसमें सामूहिक हत्याकांड हुआ। उस समय भी शनि और राहु एक ही राशि वृश्चिक पर थे।
इसी तरह 1757 ईस्वी में प्लासी का युद्ध हुआ उस समय भी शनि और राहु का षड्ष्टक योग बना था।
इसके आगे 1853 ईस्वी में देखें तो शनि और गुरु की युति मंगल के साथ कन्या राशि में थी उस समय ब्रिटिश सेना ने मराठा पर हमला किया और मराठा सेना पराजित हो गई थी। दिल्ली की गलियां लहूलुहान हो गई थी तथा ब्रिटिश सेना ने उत्तरी भारत पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था।
सन् 1857 ईस्वी में भारत की ब्रिटिश के विरुद्ध आजादी की पहली लड़ाई शुरू हुई थी। रानी झांसी भी इसी समय अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो हुई थी। इस समय भी शनि-मिथुन में और राहु-मीन में एक दूसरे से केंद्र में स्थित थे।
अब इसके आगे 1905 में देखें तो शनि और राहु के समसप्तम योग में हिमाचल प्रदेश के जिला काँगड़ा में बहुत विनाकारी भूकंप आया था।
13 अप्रैल 1919 को जलियांबाला बाग की त्रासदी हुई थी तो उस समय भी शनि और राहु परस्पर केन्द्रस्थ थे।
सन् 1941 ईस्वी में हिटलर ने रशिया पर आक्रमण किया था। यही आक्रमण आगे चलकर 7 दिसंबर 1941 को द्वितीय विश्वयुद्ध का रूप बन गया। इस समय भी शनि और गुरु की युति वृष राशि में बनी हुई थी।
सन् 1945 ईस्वी में, 26 जुलाई को जापान के हिरोशिमा और 6 अगस्त 1945 को ही नागासाकी पर अमेरिका ने परमाणु हमला किया था। यह स्थिति भी राहु और शनि के योग से ही उत्पन्न हुई थी। उस समय राहु और शनि मिथुन राशि पर स्थित थे।
सन् 1956 में 29 अक्टूबर को इजरायल ने इजिप्त पर आक्रमण किया था। यह भी शनि और राहु की युति में हुआ था। शनि और राहु दोनों उस समय वृश्चिक राशि पर थे।
सन् 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था। इस समय भी शनि और गुरु की युति मकर राशि पर थी।
सन् 1971 ईस्वी में शनि-वृष राशि में और गुरु-वृश्चिक राशि में समसप्तम योग बनाए हुए थे। तब भारत पाक का युद्ध हुआ था।
सन् 1980 ईस्वी में ईरान-इराक का युद्ध हुआ और संसार के अन्य क्षेत्रों में भी कई हत्याकांड हुए थे। उस समय भी शनि और गुरु की युति कन्या-राशि में थी।
1990-91 में देखें तो 2 जून 1990 को ईरान में भयंकर भूकंप आया था। इसमें लगभग 21,40,000 से अधिक लोगों की जानें गई थी और अगस्त 1990 में अमेरिका ने इराक पर हमला किया और कुवैत पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया। 16 जनवरी 1991 ईस्वी को खाड़ी का युद्ध हुआ। ये सभी स्थितियां राहु और शनि के योग से उत्पन्न हुई हैं। उस समय राहु और शनि दोनों मकर राशि पर थे।
सन् 1999 ईस्वी के मई से जुलाई तक कारगिल युद्ध शनि और राहु के योग में हुआ। इस समय शनि मेष राशि में और राहु कर्क राशि में एक दूसरे से केद्रस्थ थे।
अब तक जो विश्लेषण किया यह संक्षिप्त रूप से ही किया है इसके अतिरिक्त यथावत समय में इस धरा पर कई और भी दुर्घटना घटी है।
अब हम गत वर्ष 2019 ईस्वी पर एक नज़र डालते हैं। सबसे पहले 14 फरवरी 2019 ईस्वी को पुलबामा हमला होता है। जिसमें 40 जवान शहीद हुए थे। यहाँ भी शनि और राहु का षड्ष्टक योग बना है और यदि भाव स्पष्ट करके देखें तो राहु-शनि का समसप्तम योग बना है। इस स्थिति में उत्पात होना तो निश्चित है।
8 मार्च 2019 को शनि और राहु का समसप्तम योग पूर्णतयः बना और यह योग वर्ष 2020 के 24 जनवरी तक बना रहा। परिणाम सामने है।
19 मार्च 2019 को न्यूजीलैंड में मस्जिद में आतंकी हमला हुआ 50 से अधिक लोग मारे गए।
21 अप्रैल 2019 को श्रीलंका में आत्मघाती बम विस्फोट होता है।
1 अगस्त 2019 को तीन तलाक कानून पर कानूनी प्रतिबंध लगा।
6 अक्टूबर 2019 को अयोध्या के राम मंदिर विवाद का न्याययिक निर्णय हुआ और अक्टूबर 2019 को ही जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए॰ को निरस्त कर दिया गया। ये सभी स्थितियां राहु और शनि के योग से उत्पन्न हुई है। यह स्पष्ट है।
अब इस महामारी करोना के संबंध में कहते हैं। तो, जब चीन में यह कोरोना नामक संक्रामक विषाणु उत्पन्न हुआ था तो उस समय शनि और राहु का षडाष्टक योग बना हुआ था। धीरे-धीरे यह अति भयंकर विषाणु दुनिया में फैलता गया। परंतु जब 30 मार्च 2020 को शनि और गुरु की युति मकर राशि में होती है तो इस भयंकर विषाणु ने एक विस्फोट किया और पूरे संसार में अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया। मरने वालों की संख्या लाखों में हुईं।
ध्यान दें, अभी 30 जून तक इसका प्रभाव रहेगा। उसके उपरांत शनि वक्री होने से धनु राशि में प्रवेश कर रहा है जिससे यह स्थिति कुछ सुधरती हुई महसूस हो सकती है परंतु तब भी 22 सितंबर 2020 तक शनि और राहु का षडाष्टक योग बना है पूर्णतया शांति नहीं मिलेगी।
22 सितंबर के बाद ही कोई दवा औषधि का विकास हो सकता है, जिससे इस कोरोना नामक विषाणु से राहत मिलना शुरू हो सकती है। परन्तु सम्भव नहीं लगता।
21 नवंबर 2020 से 6 अप्रैल 2021 तक एक बार फिर गुरु और शनि की युति मकर राशि में बन रही है तो यह स्थिति भी राजनेताओं के लिए परीक्षा का होगा रहेगा। हो सकता है कि यही विषाणु फिर से अपना प्रभाव दिखाएं या कोई अन्य सीमा पार से खतरे का संकेत उत्पन्न हो या संसार में कहीं भी किन्हीं भी परस्पर विरोधी देशों के बीच में युद्ध की स्थिति बन सकती है या कोई प्राकृतिक आपदा हो सकती है। अतः स्तर रहें, सुरक्षित रहें।
उसके आगे अगामी वर्ष 2021 ईस्वी में ही 15 सितम्बर से 20 नवम्बर 2021 तक का समय भी कोई बड़ी घटना का संकेत दे रहा है। यह ग्रहों की स्थिति कह रही है। अन्य तो ईश्वर पर ही निर्भर है।
फलानि ग्रहसंचारेण सूचियन्ति मनीषिणः। को वक्तः तारतम्यस्य वेधसं विना।
अर्थात् ”समर्थ भविष्य के निर्धारक तो स्वयं ईश्वर ही हैं।“ संहारक भी बही हैं, तारक भी बही हैं और पालनहार भी बही हैं।
।। जय श्रीराम।।