ज्योतिष क्या है?

ब्रह्मा की इस सृष्टि में उन प्रत्येक प्राकृतिक वस्तु का ज्ञान होना ज्योतिष है। जैसे दिन-रात सूर्योदय, सूर्यास्त तिथि, नक्षत्र, पृथ्वी की गति, युग कल्पादि का बोध होना ज्योतिष है। ज्योतिष का उदयकाल सृष्टि के उदयकाल से ही जुड़ा हुआ है। मानव जाति की संस्कृति का मूलाधार वेद है। वेदों से ही हमें धर्म और सदाचार का ज्ञान प्राप्त होता है। सारी विद्या वेदों से ही प्रकट हुई हैं। वेदों के छः अङ्ग हैं। शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द तथा ज्योतिष। ये वेद के षड् अङ्ग हैं। इन षड् अङ्गों में महर्षि पाणिनि ने ज्योतिष को वेदों का चक्षु कहा है ‘ज्योतिषामयनम् चक्षुः’। जोकि मेरे प्रतीकचिन्ह का नीति-वाक्य भी है। जैसे मनुष्य बिना चक्षु से किसी भी वस्तु का दर्शन करने में असमर्थ होता है, ठीक वैसे ही वेद शास्त्र का ज्ञान जानने के लिए ज्योतिष का अत्यंत महत्व है। ज्योतिष शास्त्र से त्रैकालिक प्रभाव को जाना जा सकता है। संपूर्ण जीवनचर्या, गर्भ से लेकर मृत्यु तक और उसके बाद परलोक-पुनर्जन्म तथा भूतकाल की स्थिति का ज्ञान ज्योतिष ही अभिव्यक्त करता है। श्री वराहमिहर आचार्य जी कहते हैं –

यदुपचितमन्यजन्मनि शुभाशुभं तस्य कर्मणः पक्तिम्।
व्यञ्जयति शास्त्रमेतत् तमसि द्रव्याणि दीप इव।। (लघुजातक)
कर्मार्जितं पूर्वभवे सदादि यत्तस्य पक्तिं समभिव्यनक्ति।। (बृहज्जातक)

अन्य जन्मों में जो भी शुभाशुभ कर्म किया है, उसका फल तथा फल प्राप्ति का समय यह वैसे ही स्पष्ट व्यक्त करता है, जैसे अंधकार में स्थित पदार्थों का दीपक व्यक्त करता है। इसी लिये ज्योतिष को वेदों का चक्षु कहा गया है। कृषि, व्यापार, उद्योग, यज्ञ तथा जीवन-यात्रा का शुभाशुभ ज्ञान का काल निर्णय के लिए ज्योतिष ही एकमात्र साधन है। अतः हमारे जीवन में ज्योतिष का प्रमुख महत्व है।

वेंकटेश ने भी अपने वेंकटेश्वर सिद्धांत में कहा है –

श्रुत्युत्तमाङ्गमिदमेव यतो नियोगः कालेऽयनर्तुतिथिपर्वदिनादिपूर्वे
 वेदीककुब्भवनकुण्डादरादिज्ञेयं स्फुटं श्रुतिविदां बहुमान्यमस्मात् ॥

ज्योतिष शास्त्र को ही वेद का प्रमुख अङ्ग (नेत्र) माना गया है, क्योंकि वैदिक क्रियाओं का प्रयोग उत्तर/दक्षिण अयन, ऋतु, तिथि, पर्व, तथा दिन आदि काल में किया जाता है। यज्ञवेदी, दिशा, यज्ञमण्डप, कुण्ड तथा उनके विस्तार (माप) का शुद्ध ज्ञान आवश्यक होता है। अतः वेदिकों के लिए ज्योतिष शास्त्रज्ञान बहुसम्मत है। ज्योतिषशास्त्र को अन्य सभी शास्त्रों में वेदिक क्रियायें सम्पन्न करने में परम आवश्यक ज्ञान कराने वाला प्रतिपादित किया गया है।

आज के इस युग में विभिन्न कार्यों के क्षेत्र में कार्य को सफल बनाने के लिए विद्युत उपकरणों का प्रयोग किया जा रहा है। इन विद्युत उपकरण का प्रयोग ज्योति क्षेत्र में भी सफलतापूर्वक किया जा रहा है।

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